सम्पादक :- दीपक मदान
रूड़की।अंतिम संस्कार करते हुए दिल दहला देने वाली घटना को याद करते हुए मुजफ्फरनगर की साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांतिकारी शालू ने बताया बच्चे का नाम अभिषेक था।अभिषेक का मामा ने कंस बन इसी की जान ले ली।

थाना कोतवाली क्षेत्र से मिली जानकारी पर क्रांतिकारी शालू सैनी ने मात्र एक साल के बच्चे का किया अंतिम संस्कार नम आंखों से करते हुए इस मासूम और फूल से बच्चे को अंतिम बिदाई देते हुए अपने आंसू नहीं रोक पाई।क्रांतिकारी शालू सैनी ने बताया कि बच्चे के शव को खुद गोद में उठाकर मोर्चरी से लेकर आई।एक मृतक बच्चे के शरीर को अपनी गोद में लिटाकर लाना कोई आम बात नहीं है,जरूर उस बच्चे से कोई पुनर्जन्म का रिश्ता रहा होगा।ये सब महाकाल की दी हुई शक्ति व होंसला है,क्योंकि शालू सैनी का कहना है अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी खुद महाकाल ने उन्हें दी है।उन्हें पूरा भी वही कराते है।मैं तो सिर्फ निमित मात्र हूं।शालू सैनी का कहना है हर मृतक से कोई पुनर्जन्म का रिश्ता है।मेरा उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि हर मृतक को कफफन नसीब हो।सभी पुण्य आत्माओं को विधि-विधान से अंतिम बिदाई दे सकूं। क्रांतिकारी शालू सैनी पिछले कई वर्षों से अंतिम संस्कार की सेवा करती है और अब तक करीब साढ़े पांच हजार अंतिम संस्कार की सेवा कर चुकी है।सभी धर्म के धर्मानुसार विधि-विधान से अंतिम बिदाई का कार्य संपूर्ण किया जाता है
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